मैं मुस्लमान जन्मा नहीं था मुझे बनाया गया था ||

article by — mparya1983@gmail.com

पिछले 26 अप्रैल के लेख को थोड़ा विस्तारसे दोबारा लिखा =इसको भी आप सभी पढ़ें =और जहाँ तक हो सके इस सत्य का प्रचार करें= सबकोधन्यवाद=के साथ=
|| मैं मुस्लमान जन्मा नहीं था मुझे बनाया गया था ||
कल मझे कई लोगों ने फोन पर पूछा, आप पहले मुस्लमान थे ? फिर हिन्दू किसलिए बने, क्या कारण व मज़बूरी रही आप के साथ, जिस के चलते आप को हिन्दू बनना पड़ा ? यह बात आज पहली बार नही है, आज 32 वर्षों में ना मालूम मुझे इस प्रकार की बातें हजारों बार सुनने को मिला है |
इन्ही लोगों के धमकियां भी मझे निरन्तर मिलती रहती हैं, आप लोगों को भी मैं फेसबुक पर सुचना दे चूका हूँ | और कुछ लोग तो मुझे इस्लाम में वापस आने के लिए भी दबाव डाला | ईसाइ लोगों के रवैये को तो आप लोगों नें भली प्रकार पढ़ी होगी, मुझे क्या क्या लिखा गया फोन पर बोला गया आदि |
इन सभी लोगों को जवाब मैंने क्या दिया है वह भी आप लोगों ने बीच बीच में देखा होगा, पर कल का जो मेरा उत्तर उनलोगों के लिए था उसे मैं आज आप लोगों को बताना चाहता हूँ |
मुझे पूछा की आप पहले मुस्लमान थे, तो आप इस्लाम छोड़ कर हिन्दू किस लिए बने ? मैंने इसी बात को पलट कर उसी मियां जी से पूछा, आप कौन हैं जवाब मिला मैं मुसलमान हूँ | फिर मैंने पूछा कब से जवाब मिला जन्म से | मैंने कहा यही गलती आप इस्लाम वालों की है, और आप को जानकारी नही है इस्लाम के बारे में ? उसने कहा कैसे, मैंने कहा जन्म से कोई मुस्लमान नही होता, और ना कोई ईसाई, जैनी, या फिर बौधिष्ट |
मैंने फिर पूछा की अगर आप जन्मसे मुस्लमान हैं, तो आप के जन्म लेते ही आप के कान में आजान व तकबीर किस लिए सुनाया गया था ? कहा क्या मतलब, मैंने कहा यही मतलब की आप के जन्म लेते ही आप को महज़ सुनाया गया की आप एक मुस्लमान परिवार में आये ? ना की मुस्लमान आये, इस का मूल कारण यही है की भेजने वाले ने आप को मुस्लमान बनाकर नही भेजा ? और ना किसी को ईसाई बनाकर भेजा ? उस भेजने वाले ने धरती पर हर इन्सान कहलाने वालों को एक ही प्रकासर से भेजा है | हर कोई धरती पर आने वाला जिसे हम मानव कहते हैं, वह सब एक ही प्रकार से धरती पर आये, इसमें कोई मुस्लमान नही आया, और ना कोई ईसाई, या जैनी, बौधी | बड़ी बात इसमें और भी है, यह आने वालों में ना तो कोई आलिम आया, ना कोई पादरी, ना कोई पण्डित आया ना कोई क्षत्री, ना कोई वैश्य | हर आने वाला शुद्र आया, समान प्रस्वत्मिका सह जाति | अर्थात प्रसव करने का तरीका जिनका एक है वह सभी एक ही जाति के हैं |
अब इन्ही आने वालों को इसी दुनिया में बनाये जाते हैं, कोई मुस्लमान बना रहे हैं, कोई ईसाई, कोई जैनी और बौधिष्ट, जन्म से कोई आलिम {मौलवी} जानकर नही बनते यह एक पढाई है, उसके पूरा करने पर कोई हाफिज, कोई कारी, कोई मौलवी, कोई मुफ़्ती, कोई काजी यह सब पढाई है कोर्स है इसके करने पर सनद मिलती है | इसमें भी कुछ लोग हैं जो अपने पिता या वालिद के डिगरी को लिए फिर रहे हैं | प्रमाण के तौर पर, मुफ़्ती महबूबा, जी अभी कश्मीर की मुख्यमंत्री हैं, उनके पिता भी इस काम को किया, मुफ़्ती किसी के जाति गत टाइटेल नही है यह एक सनद है इस्लामिक कोर्स है जिसे हम शरीयती कानून का जानने वाला, जिसे फिका कहा जाता है | जो शरीयती कानून के पढाई हैं उसके सनद याफ्ता का नाम मुफ़्ती है | अब इन्हों ने बिना सनद लिए ही अपने को मुफ़्ती कहलाये यह गलत है |
जरुर आप लोगों को पता होगा पिछले दिन राजस्थान में कुछ मुस्लिम महिलाओं के काजी बनने पर इस्लाम के जानकार आलिमों ने उसका विरोध किया था, दूरदर्शन में देख कर उसपर मैंने अपना विचार अप लोगों तक पहुंचाया था | जिन आलिमों ने उन महिलाओं के काजी बनने का विरोध किया, वह आलिम गण इस पर मौन किस लिए हैं, की महबूबा अपने नाम से मुफ़्ती किसलिए लिखती, और बताती है ? जब कोई महिला काजी नही बन सकती तो महबूबा महिला है अपने को मुफ़्ती कहने, लिखने बताने का विरोध इस्लाम के आलिमों ने क्यों नही किया ?
हमारे यहाँ भी कुछ लोग हैं जो शास्त्री के कोर्स किये बिना ही अपने पिता के डिगरी को ढो रहे हैं, जैसे लालबहादुर शास्त्री जी के पुत्र गण, लक्ष्मण कुमार शास्त्री जी के पुत्र गण और भी अनेक नाम हैं जिन्हें मैं जानता हूँ आदि |
जैसा मुस्लमान का लड़का कोई मुस्लमान नही बनते,मुस्लमान दुनिया में आनेके बाद ही बनाया जाता है| ईसाई भी दुनिया में बनाये गये, हाफिज,कारी,मौलवी,मुफ़्ती,पादरी यह सब दुनिया में आने के बाद ही बनते और बनाये जाते हैं | यहाँ भी यही बात है जन्मसे कोई पण्डित नही बनते, ना कोई यादव बनते ना कोई पाठक ना कोई बनर्जी, ना कोई जाति बनते हैं | धरती पर आते हैं सभी कोरा, अनजान, जिसे शुद्र कहा जाता है |
मैंने उन, मुझसे पूछने वाले से कहा आप कब मुस्लमान बने ? जवाब मिला, आपने जो हवाला दिया वह सभी सत्य हैं मुझे भे जन्म लेने के बाद ही मुस्लमान बनाया गया | मेरे जन्म लेते जो किया वह तो मैं नही देखा, पर मेरे होश सँभालते मेरे नाम रखे गये, जो नाम भारतीय लोगों जैसा नही है | वह नाम अरब देश वालों जैसा है | जो नाम किसी भी भारतीय का नही होता, इसनाम को अरबी अक्षरों से रखा गया | जो मुझे घरवालों ने यही सन्देश दिया की तुम इसदेश के मूल निवासी नही, किन्तु अरबियन हो जिन अरबी अक्षरों में तुम्हारा नाम रखा गया है | मेरी खतना कराई गयी, बहुत कष्ट हुवा मैं चीखता, पुकारता रहा, मुझे देख कर मेरी माँ भी रोती रही और भी कई लोग रोते रहे | यह जो खतना वाला काम मेरे साथ हुवा, यह भी अरब देश से जुड़ा हुवा है, अरब वालों को या फिर इस्लाम के मानने वालों को छोड़, किसी और मुल्क के लोग इस कम को नही करते | मेरे घरवालों ने यहाँ भी मुझे यह बताया, की तुम भारतीय नही हो, यह खतना भी अरब वाले ही करवाते हैं, यानी किसी भी मुल्क के लोग, अथवा इस्लाम के मानने वालों को छोड़ और किसी कौम के लोगों ने नही अपनाया | ईसाइयों में था पर वह भी इस काम को बन्द क्र दिया | यहाँ भी हमें अरब और इस्लाम के साथ जोड़ा गया, जब मैं बोलने लगा मुझे घर पर ही इस्लाम के बारे में जान कारी कराई गयी | इस्लाम की बुनियाद सिखाया गया, इस्लाम ही एक मात्र सच्चा दीन{मजहब } है यह बताया गया सिखाया गया आदि|
मैंने पूछा की आप जब धरती पर आये, तो क्या आये, यह जितने भी हैं सब आने के बाद बने या बनाये गये है ? कहा जी हाँ मैंने फिर कहा, मेरे भाई आप ने तो मुझसे कहा मैं मुस्लमान से हिन्दू बना, पर यह जान कारी आप को नही है की हमसब जब धरती पर आये, उस समय तो हम मुस्लमान थे ही नही, फिर हम मुस्लमान से हिन्दू कैसे बने ? बल्कि हमें अनजान में धोखेसे मुस्लमान बनाया गया, उस समय हम नादान थे,अनभिज्ञ थे बच्चे थे होश भी नहीं था, हमारे उन बेहोशी का फायदा इन सभी मतवादियों ने या हमारे घरवालों उठाया जो बिलकुल मानवता पर कुठाराघात है | आज धरती पर इन सत्य को लोग जानना नही चाहते की विधाता ने जब हमें धरती पर भेजा अथवा हम जब इस धरती पर आये उस समय हम क्या थे ? यह जानकारी अगर किसी ने लेनी चाही, और उसे जानकर ही किसी ने उसे अपनाया, फिर आप लोगों को यह दुःख और तकलीफ किस लिए है ? की किसी मुस्लमान ने इस्लाम से हिन्दू बनगया ?
क्या यह ना समझी और दुराग्रह नही है अथवा यह दुषप्रचार नही है जो मेरे साथ आप लोग कर रहे हैं ? कोई तो मुझे गाली दे रहा है, कोई मुझे जानसे मारने की धमकियाँ दे रहा हैं, कोई मुझे इस्लाम में वापस हो जाने की बातें कर रहा हैं | कोई मुझे धन धान्य, और अप्सरा तक देने को आतुर हैं आदि | आज मैं उन्ही लोगों से यही कह रहा हूँ की हम धरती पर आते समय मात्र हाथ, पॉव,धड़ सर यही शारीर ले कर आये थे उसी अवस्था का फायदा हमारे घरवालों ने उठाया की मैं उस वक्त विरोध भी नही कर सका, और विरोध किसी के लिए करना संभव भी नही होता उसी मज़बूरी का फायदा इन सभी मत पन्थ वालों ने लेकर हमें मानव बनाने के बजाय, किसी ने मुसलमान बनाया, किसीने ईसाई बनाया, किसी ने जैनी बनाया, किसी ने बौधिष्ट बनाया, किसी ने सिख बनाया, और किसी ने वहाई |
पर वेद का उपदेश है कि मानव बनो मनुर्भव | यही कारण बना, इस्लाम को तो मेरे घर वालों नें मेरी अज्ञानता में मुझे बनादिया था, अथवा पकड़ा दिया था | आज मैं ज्ञानवाण बनकर ही सिर्फ और सिर्फ मानव बना हूँ, इसपर किसी को क्या आपत्ति हैं ?
आप लोगों से भी मेरी प्रार्थना यही है, इन मुस्लिम, ईसाईयों की चंगुल से बाहर निकलेंऔर मानव बनने और बनाने का काम करें, इस में अपने जीवन को अच्छा बना सकत हैं, इन दुकानदारों के चंगुल से छुट सकते हैं जैसा की मैंने इन मूसलमान कहलाने वाले दुकानदारों से खुद को मुक्ति दिलाई है | और अब तक अनेकों को मुक्ती दिलाकर मानव बनाया हूँ, जो आज अपने को मानव कहला कर ख़ुशी जाहिर क्र रहे हैं |
जन्म,से कोई मुस्लिम नही, कोई पण्डित नही, कोई ईसाई नही, कोई जाति नही, किन्तु सब एक ही प्रकार से दुनिया में आए हैं | और सब को एक ही मानव बनकर दुनिया से जानाचाहिए, कि हमें देख कर मानव और कोई भी बन सकें जो परम दायित्व हैं आज की दुनिया में | परमात्मा ने धरती, जल, आकाश,वायु चाँद, सूरज मिट्टी किसी भी मुस्लमान, और ईसाइयों के लिए नही बनाये, वह सबको समान रूपसे वरतने को दिया है, किसी के साथ भेद नही किया, तो हम दुनियामें मुस्लमान, ईसाई बन कर एक दुसरे को डराते धमकाते किस लिए ? परमात्मा की दी हुई सामान अथवा बनाई सामान अगर किसी को कुछ और किसी को कुछ देते उसपर पक्षपात का दोष लगता, तो हमें भी बिना पक्षपाती बनकर धरती से मानव बनकर एक मिसाल कायेम करके जाना चाहिए जो आने वाले भी देख कर उसी का अनुसरण करें | सवाल करने वाले ने मुझे बहुत धन्यवाद दिया और मेरी तारीफ की, जो आज़ मैं आप लोगों तक इन बातों को सुनाना उचित समझ कर लिखा हूँ | धन्यवाद =
महेन्द्रपल आर्य वैदिक प्रवक्ता = 29 /4 /16

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